द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 43

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एपिसोड ४३"मल्किनबाई..! तुम्हारे पास जितने गहने हैं।" अपनी लड़की के गले में समद डाल दो..! "रामू सावकारा ने स्लीपर रोका और धामाबाई की ओर देखकर कहा।" तुम चाहो तो नया कर्ज ले लो।" रामू सावकारा ने अपनी एक भौंहें ऊपर उठाईं। "जितनी जरूरत हो उतने पैसे खर्च करो। "आप इसकी चिंता क्यों नहीं करते!" धामाबाई ने अपने लाल दांत दिखाते हुए मुस्कुराते हुए कहा। रामू ने बस सिर हिलाया और जारी रखा। "संतुयौ - लंका, मेरे पास तुम्हारे लिए एक काम है!" “जी अब्बा!” "कि भाटसा ने मालिक का पता ढूंढ लिया, और कावा बी दारासिंह से मिलेंगे और उन्हें