श्रीमद भगवदगीता ने बदल दी मेरी ज़िंदगी.

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मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ, बचपन गाँव में ही बीता,अपने भाई बहनों के साथ,शिक्षा भी गाँव में ही हुई.बचपन में किसी ने भी गाइड नहीं किया जो भी पढ़ाई की,पापा की पोस्टिंग गाँव में ही रही,ज़िंदगी में गाँव का ज़्यादा प्रभाव रहा,पिता जी के साथ सबदलपुर,चौमुहाँ,बरोला आदि गाँव में रहा.मेरी ज़िंदगी के सबसे सुनहरे पल चौमुहाँ में बीते,यहाँ से १२वी पास करने के बाद,गांधी पॉलीटेक्निक मुज़फ़्फ़रनगर(१९८४-१९८७) से यांत्रिक अभियंता का डिप्लोमा किया, वैसे तो मैं पायलट बनना चाहता था,एनडीए की परीक्षा दी पास नहीं कर पाया,फिर सोचा प्रोफेसर बनूँगा उच्च शिक्षा नहीं ले पाया और नहीं बन पाया,अभियंता(डिप्लोमा)बन