आख़री बात

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कभी कभी तो मुझे लगता था कि माँ के बारें मे वह सब अल्फाज़ झूठ ही होते हैं जो किताबों मे लिखे होते हैँ।। जो लोग अक्सर सोशल मीडिया पर वाइब्स् बना कर डालते हैँ।। माँ ऐसी होती है।। माँ वैसी होती है।। मेरी माँ मे तो आज तक मेने वह ऐसा कोई गुण नहीं देखा था जो मेने सुना और पढ़ा था। पापा तो बचपन मे ही चल बसे थे इसलिए बाप का अक़्स क्या होता है यह तो मुझे मालूम ही नहीं था लेकिन एक माँ थी वह भी गोया बस नाम की माँ थीं।। जिनके साथ रहकर