में और मेरे अहसास - 97

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बेरोजगारी ओ महगाई का प्रश्न तो खड़ा है l जवाब देने जाओ तो मसला बहुत बड़ा है ll   देश में कोई नहीं जो आवाज़ उठाएंगे कि l जहा देखो पूरा सिस्टम मुकम्मल सड़ा है ll   बिना रिश्वत के कोई रोज़गार नहीं मिलता l उपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार जड़ा है ll   भूख के मारे लाचार नौजवान मज़दूर बने l दुनिया का हर पढ़ा लिखा इन्सां रड़ा है ll   कानून की जानकारी नहीं है देश वासी को l मुकम्मल कायदा बस नाम का ही दड़ा है ll     सभी अपने आप की समस्याओ में डूबे