प्रेरक कविताएँ

  • 5.8k
  • 1
  • 1.8k

1 पापा मेरे पापा मेरे सुबह सूरज निकलने से पहले घर छोड़ देते मेरे खुशियों के खातिर दिनभर हैं भटकते शाम को सूरज ढलने के बाद हैं घर लौटते कितना ख्याल रखते हैं मेरा पापा मेरे खुद पहनकर फटे पुराने मेरा हर ख्वाहिश पूरा करते हैं आँसू नहीं देख सकते हमारे वो दुनियाँ से लड़ जाते हैं कितना चाहते हैं मुझे पापा मेरे कभी बनके एक दोस्त मेरे मेरे साथ रहा करते हैं हर ग़लतियों को टटोलकर एक अच्छी सलाह भी देते हैं कहीं चूक ना जाऊँ मैं कहीं हर कदम पर साथ देते हैं पापा मेरे 2 देख तेरी