भाग- 4 हाँ खैर यह बात तो मैं भी बखूबी समझता हूँ. ऐसा है तो फिलहाल मैं आपको इतना नहीं दे पाऊँगा. जी कोई बात नहीं, रेणु को फिर पैसे लौटाने की चिंता सताने लगी.. इस महीने तो उसने एडवांस लेकर किसी तरह अपने गाँव में अपने माँ बाबा को पैसे भेज दिये थे. लेकिन यदि उसे जल्द ही कोई काम ना मिला तो अगले महीने क्या होगा, उसकी माँ ऐसों की राह देख रही होगी और पैसे नहीं पहुंचेंगे तो बाबा को भी कितनी तकलीफ होगी, कितना दुख होगा. वह बेचारे तो अपना दुख चाहकर भी किसी से