चुड़ैल के प्रेम में

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रमेसर काका के पास एक लेहड़ा गायें थीं। वे प्रतिदिन सुबह ही इन गायों को दुह-दाहकर चराने के लिए निकल पड़ते थे। सुबह से लेकर शाम तक रमेसर काका गायों को लेकर इस गाँव से उस गाँव, तो कभी नदी किनारे, तो कभी-कभी इस जंगल से उस जंगल घूमा करते थे और दिन ढलते ही गाँव की ओर निकल पड़ते थे। जब रमेसर काका गायों को चराने के लिए निकलते तो सत्तु और भुजाभरी के साथ ही कभी-कभी दही, दूध आदि भी ले जाते और भूख लगने पर किसी पेड़ की छाया में बैठकर खाते-पीते। रमेसर काका कभी भी अपने