यक्ष एक अर्ध देवयोनि (नपुंसक लिंग) है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है। उसका अर्थ है 'जादू की शक्ति'। 'यच' सम्भवत: 'यक्ष' का ही एक प्राकृत रूप है। अतएव सम्भवत: यक्ष का अर्थ जादू की शक्तिवाला होगा और निस्सन्देह इसका अर्थ यक्षिणी है। यक्षों की प्रारम्भिक धारणा ठीक वही थी जो पीछे विद्याधरों की हुई। यक्षों को राक्षसों के निकट माना जाता है, यद्यपि वे मनुष्यों के विरोधी नहीं होते, जैसे राक्षस होते हैं। (अनुदार यक्ष एवं उदार राक्षस के उदाहरण भी पाये जाते हैं, किन्तु यह उनका साधारण धर्म नहीं है।) यक्ष तथा राक्षस दोनों ही 'पुण्यजन' (अथर्ववेद में