आखिरकार सिद्धार्थ पूरी तरह अपना आपा खो बैठा।उसे अजीब–अजीब आवाजो का आभास होने लगा।वह खुद के प्रति इनसिक्योर होने लगा। नारायण जी ने सिद्धार्थ की बीमारी को ट्रिगर कर दिया था।आगे कहीं बढ़ न पाना उसके लिए बहुत बड़ी हार साबित हो रही थी। उसकी अंदर की आवाजे उसे पागल कर रही थी।प्रकाश जो उसका कोपिंग मेकैनिज्म था वो भी थक गया था समझा–समझा कर की सब कुछ ठीक है।धीरे-धीरे खुद पर का संतुलन खोते जा रहा था वो।"अच्छा हुआ मैं लंदन चली गई, तुम मेरे लायक ही नहीं हो। I hate you Sidharth, I hate you.""तुम बिलकुल नालायक हो,