मुझे न्याय चाहिए - भाग 2

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रेणु ने कहा पर माँ ...! पर वर कुछ नहीं, रख ले. वहाँ तू अकेली जा रही हैं, 'सुना है परदेस में बिना पैसे के कोई पानी भी नहीं पूछता' तो जरूरत तो पड़ेगी ना बेटा. मैंने जोड़कर रखे थे देख आज काम आगए। कहकर लक्ष्मी मुसकुरा दी ताकि रेणु को हिम्मत मिल सके. रेणु गाँव से बस में बैठकर मुंबई आ पहुंची. डरी डरी सी, सहमी सहमी सी रेणु, अपना झोला अपने सीने से लगाए जब वहाँ उतरी तो उसे ऐसा लगा मानो वह कोई दूसरी ही दुनिया में आ पहुंची है. उसने पहले रेडियो पर सुन रखा था