द्रोहकाल जाग उठा शैतान - 15

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एपिसोड १५राजगढ़ महल में महाराज दारासिंह अपने पलंग पर कमर झुकाये बैठे थे। बिस्तर से पाँच-छह कदम की दूरी पर खिड़की खुली थी और उसमें से शाम की ठंडी हवा आ रही थी। नीले आकाश में टिमटिमाते चाँद दिखाई दे रहे थे और अगले ही पल एक तारा धीरे-धीरे टूटता हुआ दिखाई दे रहा था। महाराज बिस्तर पर दोनों पैर पीछे झुकाकर और एक हाथ सिर पर रखकर बैठे थे। तभी अचानक दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। आवाज आते ही महाराज ने चौंककर आंखें खोलीं। उन्होंने देखा सीधे उसके सामने. तभी उन्हें दरवाजे पर महारानी ताराबाई खड़ी दिखाई दीं। "चुप