एक थी नचनिया - (अन्तिम भाग)

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कुछ ही देर में मोरमुकुट सिंह उस अँधेरी रात में खण्डहर मिल में पहुँच गया,उसकी मोटर कार अब उस सुनसान जगह पर मिल के सामने खड़ी थी,उस मिल में से कुछ रोशनी आ रही थी,ऐसा लग रहा था कि जैसे जुझार सिंह अपने गुण्डों के साथ मोरमुकुट सिंह का इन्तज़ार कर रहा था,वे चारो कार से उतरे और उन्होंने सबसे आगे शुभांकर को किया,जिसके हाथ बँधे थे और मुँह पर भी पट्टी बँधी थी और फिर मोरमुकुट सिंह ने शुभांकर की गर्दन पर चाकू भी रखा,ये उन लोगों की योजना थी,वे धीर धीरे आगे बढ़ने लगे,तभी जुझार सिंह अपने दो