आरती अपनी बेटी और बहू के साथ मंदिर जाने के लिए निकले। रास्ते में तीनों एकदम शांत थीं, उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने मौन व्रत ले रखा हो। कोई किसी से ना कुछ पूछ रहा था, ना पूछने की हिम्मत थी। मंदिर ज़्यादा दूर नहीं था फिर भी उन्हें रास्ता लंबा लग रहा था। मंदिर पहुँचते ही वहाँ दर्शन करके आरती ने एक झाड़ की तरफ़ चलने का इशारा किया जहाँ उनके सिवाय और कोई भी नहीं था। तीनों वहाँ जाकर झाड़ के नीचे बैठ गईं। तब आरती ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, “देखो मैं किसी को