अपनी बेटी निर्मला के घर आने से उसके पापा धीरज भी बहुत ख़ुश थे लेकिन उन्हें निर्मला का चेहरा थोड़ा मुरझाया हुआ लग रहा था। सुबह आरती के उठने पर धीरज ने अपनी बेचैनी उसे बताते हुए कहा, “आरती तुम्हें नहीं लगता, निर्मला मुरझाई सी, उदास लग रही है।” “अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। शुरू-शुरू में थोड़ी तबीयत गड़बड़ हो सकती है।” “शुरू-शुरू में मतलब?” “अरे तुम नाना बनने वाले हो।” “अच्छा! अरे वाह यह तो बहुत ही ख़ुशी की बात है।” उधर बुलबुल और गोविंद दोनों बहुत प्यार से जी रहे थे। एक दूसरे का साथ उन्हें बहुत