कहानी चार दोस्तसभी पाठकों से निवेदन है की ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और लेखक के मन में हुई अकस्मात उपज है।।पूर्णिमा की रात थी। एक नदी के ऊपर बने एक सुनसान से पुल पर बैठकर चार दोस्त राहुल, सतनाम, सुधीर और नरेश पार्टी कर रहे थे और रात को बह रही ताजी हवा खा रहे थे। हर और चांदनी बिखरी हुई थी। नदी का पानी पूरी तरह से शांत नज़र आ रहा था मानो किसी ने उसे बर्फ की तरह जमा दिया हो। पूरे पुल पर उन चार दोस्तों को छोड़कर और कोई भी नज़र नहीं आ