मालिक

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मालिक*रोज की तरह कुछ दिन पहले मैं गौशाला में सेवा कर रहा था। मेरे हाथ में चारे का कट्टा था। और मैं एक खोर पर चढकर दुसरी खोर मे चारा डाल रहा था।उन दोनों के बीच में एक लोहे का मोटा सा पाईप था। मेरा पैर फिसला और मैं सीने के बल उस पाईप पर जा गिरा।जिससे मेरी छाती में मामूली सी अंदुरुनी चोट आ गई। मैंने कुछ दिन तक घर पर ही सिकाव और दवाई आदि की परन्तु कोई आराम नहीं हुआ। इसलिए कल मैंने सोचा कि किसी पहलवान से मालिश करवा लेनी चाहिए।* *यह तो थी मेरी व्यथा।