भारतीय प्रदेश में पंद्रहवीं, सोलहवीं, सत्रहवीं शताब्दियां विशेष महत्वप्रद रही हैं। इनमें अनेकों ईश्वर के परम भक्त एवं अनेकों संत-महात्मा अवतरित हुए। नानक, कबीर, नामदेव, रैदास, दादू आदि संत तथा तुलसीदास, सूरदास, मीरां आदि भक्तों का जो स्थान हमारे समाज में है, वह किसी को अविदित नहीं। इसी संतश्रेणी में स्वामी श्रीहरिदासजी महाराज हुए हैं। इनकी जन्मतिथि का ठीक-ठीक प्रामाणिक तथ्य तो सामने आया है, पर ये सोलहवीं सदी के अन्त तथा सतरहवीं सदी के मध्य में हुए हैं।महाराज हरिदास जी का जन्म सांखला गोत्र के क्षत्रिय कुल में परगना डीडवाणे के कापडोद ग्राम में हुआ था। इनका जातीय नाम