शायराना फिज़ा... 1 - कुछ अनकहे ज़ज्बात

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रहने दे मोहब्बत में डूबने को, ऐ परिंदे आसमाँ के...ये दरिया है नादान, बेमौत मारा जाएगा याद आता है मैं, तू और वो हंसी वक्त, याद आता है...मेरा मुस्कुराना, तेरा शर्मा जाना, याद आता है... मेरा देखना, तेरा वो छुप जाना, याद आता है... मेरा छूना, तेरा मुरझाना, याद आता है... मेरा चुप रहना, पर तेरा समझ जाना, याद आता है...हमारा मिलना, वो हमारा अफसाना, याद आता है...खतों में तेरी तस्वीर बन जाना, तुझे मेरी तकदीर बन जाना,ख्वाबों में तेरा रोजाना आना जाना, तेरा हर लफ्ज़, हर अफ़साना याद आता है, याद आता है.