सीमा

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सीमाबेटा अब खुद काम करके पैसे कमाने वाला हो गया था, इसलिए बात - बात पर अपनी माँ से झगड़ पड़ता था। ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी। मगर अब आर्थिक रूप से सक्षम बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी नज़र अंदाज कर देता और कहता, "यही तो समय है अपने शौक पूरे करने के, खाने - पीने और पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।" बहू सीमा भी संस्कारवान व साधारण परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की