कल्पना से वास्तविकता तक। - 10

  • 2.2k
  • 854

1.पूरी कहानी समझने के लिए आप पिछले भाग, हमारी प्रोफ़ाइल विंडो से पढ़ सकते हैं। हर बार सत्य का अटल होना जरूरी नहीं होता है...क्योंकि जिसे हम सत्य मान कर चल रहे होते हैं...हो सकता है वो संपूर्ण सत्य ना होकर सत्य का सिर्फ एक पहलू मात्र ही उजागर करता हो...और पहलू दर पहलू सत्य का रूप बदल जाता हो... हां लेकिन ये कहना भी गलत नहीं होगा कि संपूर्ण सत्य हमेशा अटल होता है। रेयॉन अंकल का विथरपी और गोलक्ष दोनों जगह होना ..कल्कि और नेत्रा को एक सत्य को नकारने पर विवश कर रहा था। जीली और ग्रमिल