ये कहानी उपन्यास विजय बहादुर का एक अंश है।।।। कहानी कपालनाथ आज फिर से अमावस की वो काली , भयानक , खौफनाक और डरावनी रात थी। दौलताबाद के इस वीरान खंडहर रूपी गांव में शायद ही ऐसा कोई जीवित प्राणी हो जो न जानता हो की उस काली अमावस की रात गांव के कब्रिस्तान में क्या भयंकर घटित हुआ था। अभी शाम ही थी । सूरज भी कुछ कुछ नज़र आ रहा था। इसलिए इतना अधिक अंधेरा नहीं था। प्रकाश को कुछ किरणे अभी भी अपना प्रकाश बिखेर रही थी और इन किरणों से अभी कुछ और समय तक कायम