कल्पना से वास्तविकता तक। - 9

  • 1.6k
  • 558

इस कहानी को शुरुआत से पढ़ने के लिए आप हमारे प्रोफाइल विंडो पर फेरा लगा सकते हैं धन्यवाद...! "यूवी..! यूवी..! एक बार दरवाजा तो खोल यार ... क्या बचपना है??.. हर बार तुम दोनों की लड़ाई होती है और मुझे बली की बकरी बना देती हो तुमदोनों... नेत्रा ने दरवाजे पर जोर से अपना हाथ पटकते हुए कहा जो लगभग पिछले आधे घंटे से वहां खड़े हुए यही कर रही थी और उसके पास ही कल्कि भी चुपचाप खड़ी हुई थी... जिसको बीच बीच में नेत्रा घुर कर देख रही थी..मानो आंखों से ही कत्लेआम कर देगी ... उसका घुरना