बरसात के दिन थे। कई दिनों से नींद ठीक से नहीं आ रही थी, खासकर जब से मैं गांव से वापस लौटा था। उसे दिन भी बारिश लगातार सुबह से हो रही थी, इस कारण मैंने छुट्टी ले ली,और मैं घर पर ही था। मन कुछ उचाट सा था, तो मैंने रामू काका को छोड़कर बाकी दोनों नौकरों से शाम को जल्दी ही जाने को कह दिया। अब घर में बस मैं था और रामू काका थे। वोबचपन से मुझे जानते थे, मेरे हाव-भाव भांप कर, उन्होंने मेरी पसंदीदा ताहारी बनाई और खाने के लिए पूछा। मेरे आदेश अनुसार थोड़ी