भाव का भूखा एक अमीर आदमी बहुत ही संकट में था । उसे लाखों - करोड़ों का नुकसान जो हुआ था, और सारी जीवन की कमाई डूबने के करीब थी ! जीवन की नाव डगमगा रही थी । वह कभी मंदिर नहीं गया था, वह कभी पूजा पाठ भी नहीं किया था । उसे कभी फुरसत ही न मिली थी ! पूजा पाठ करने के लिए उसने पुजारी रखे हुए थे, उसने अनेक मंदिर भी बनवाये थे, जहां वे उसके नाम से नियमित पूजा पाठ किया करते थे लेकिन इस दुःख की घड़ी में कांपते हाथों वह भी मंदिर गया!