श्री नामदेव जी

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जल-थल और अग्नि आदि में सर्वत्र अपने इष्ट का ही दर्शन करूंगा — यह प्रतिज्ञा श्री नामदेव जी की उसी प्रकार निभी, जैसे कि त्रेतायुग में नरसिंह भगवान् के दास श्री प्रह्लाद जी की निभी थी। बचपन में ही उनके हाथ से विट्ठलनाथ भगवान्ने दूध पिया। एक मरी हुई गाय को आपने जीवित करके असुर यवनों को अपने भजनबल का परिचय दिया। फिर उस यवन राजा के द्वारा दी गयी शय्या को नदी के अथाह जल में डाल दिया। उसके आग्रह पर उसी तरह की अनेक शय्याएँ निकालकर दिखा दीं। पण्ढरपुर में पण्ढरीनाथ भगवान् के मन्दिर का द्वार उलटकर आपकी