सौभाग्य ने कहा माई हम कुछो एसन नाही करब जैसे हमरे माइ बाबू के इज़्ज़त जाए और उन्हें मुंह छुपाए के पड़े कहती खिलखिलाती अपने मोहक अंदाज़ में झोपड़ी से बाहर निकली उसके पीछे पीछे शेरू जो सुबहे से उसके साथ मुंह बनाये बैठा था ।सौभाग्य के बाहर आते ही चिन्मय ने उसे रंग गुलाल से सराबोर कर दिया और फिर उसने शेरू के माथे अबीर का तिलक लगायाचिन्मय और सौभाग्य ने आपस मे जमकर होली खेली और शेरू जैसे दोनों कि होली खेलना देखकर ही खुश हो रहा हो अपने अंदाज में नाचता और कूदता घण्टो खुशनुमा माहौल सिर्फ