प्राचीनकाल में भरत नाम के एक महान् प्रतापी एवं भगवद्भक्त राजा हो गये हैं, जिनके नाम से यह देश 'भारतवर्ष' कहलाता है । अन्त समय में उनकी एक मृगशावक में आसक्ति हो जाने के कारण उन्हें मृत्यु के बाद मृग का शरीर मिला और मृग शरीर त्यागने पर वे उत्तम ब्राह्मणकुल में जडभरत के रूप में अवतीर्ण हुए। जडभरत के पिता आंगिरस गोत्र के वेदपाठी ब्राह्मण थे और बड़े सदाचारी एवं आत्मज्ञानी थे। वे शम, दम, सन्तोष, क्षमा, नम्रता आदि गुणों से विभूषित थे और तप, दान तथा धर्माचरण में रत रहते थे। भगवान् के अनुग्रह से जडभरत को अपने