ताश का आशियाना - भाग 36

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गंगा तुम मुझे बताओ की भी कि आखिर तुम दोनों के बीच क्या हुआ है ऐसा जो सिद्धार्थ पर इस तरह की नौबत आ गई। गंगा वहां रखे डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ गई।"अपने हाथों को अपने माथे पर लगा पीटने लगी। मैं ही अपने बेटे की जान की दुश्मन बन गई। मुझे तभी समझ जाना चाहिए था कि जब वह शादी नहीं करना चाहता था।अपनी जिंदगी नहीं बसाना चाहता था तो वह सही था।""गंगा यह तुम क्या बोल रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा तुम थोड़ा साफ-साफ बोलोगी।"सिद्धार्थ और रागिनी का रिश्ता टूटने के बाद