चैंपियन सी थी वोबड़ी मुद्दतों के बाद मिला था कोई ऐसा, आया जिसकी करीब बड़ी मुश्किलों से। वैसे किसी भी गेम में माहिर नहीं थी वो, फिर भी चैंपियन की तरह खिल गई मेरे दिल से।। मैंने जब अपना दिल निकाल के रखा उसके सामने, उसने तब अपना दिल संभाल के रखा मेरे सामने। हां तो उसने कहा ही नहीं कभी ना भी उसने किया नहीं, मैं तरस गया उसके सिर्फ एक जवाब के लिए। कोई खास है वो जो नींद ना आने पर भी, मैं सोया बस उसके ख्वाब के लिए।। उसने तो सिर्फ हाथ पकड़ा था, मैंने ही