तलाशतभी मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर देखा तो अज्ञात नंबर… ‘‘हैलो…’’ ‘‘जी हैलो…’’ दूसरी ओर से आई आवाज किसी औरत की थी. मैं ने पूछा, ‘‘कौन मुहतरमा बोल रही हैं?’’ ‘‘जी, मैं वृंदा, किरतपुर से. क्या मोहनजी से बात हो सकती है?’’ ‘‘जी, बताइए. मोहन ही बोल रहा हूं.’’ ‘‘जी, बात यह थी कि मैं भी कहानीकविताएं लिखती हूं. आप के दोस्त प्रीतम ने आप का नंबर दिया था. आप का मार्गदर्शन चाहती हूं.’’ ‘‘क्या आप नवोदित लेखिका हैं?’’ ‘‘हां जी, लेकिन लिखने की बहुत शौकीन हूं.’’ ‘‘वृंदाजी, आप ऐसा करें कि अभी आप स्थानीय पत्रपत्रिकाओं में अपनी रचनाएं