बारिश, चाय और तुम - भाग 2

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आकर्ष बाहर आ कर देखता है बादल बहुत घने हो चुके होते हैं और हवा भी काफ़ी तेज़ चल रही होती है, बारिश किसी भी पल शुरू हो सकती थी।आकर्ष को बहुत ज़ोर की भूख भी लगी होती है लेकिन वो सोचता है अगर बारिश शुरू हो गयी तो वो भीग जायेगा। जब वो घर से निकला था तो मौसम बिलकुल साफ था इसलिए उसने रेन कोट या छाते के बारे में सोचा भी नहीं था। उसने अब ऑटो ढूढ़ना शुरू किया ताकि बारिश शुरू होने से पहले वो ऑटो में बैठ जाये और उस बेकार बारिश में उसे भीगना