एक सच्ची कहानीनंदिनी घर में घुसी ही थी कि आरव दौड़ता हुआ आया और गोदी में चढ़ने की जिद करने लगा. नंदिनी ने शेखर को आवाज लगाई, “शेखर यार, जरा आरव को पकड़ लो.” शेखर भुनभुनाते हुआ आया और आरव को ऐसे गुस्से से पकड़ा कि वो बुक्का फाड़ कर रोने लगा. नंदिनी मायूसी से बोली, “अरे, थोड़ा आराम से…” तभी काशवी नंदिनी के पास भागती हुई आई, पर अपनी मम्मी का गुस्सा देख कर एकाएक ठिठक गई. नंदिनी जल्दी से हाथमुंह धोने बाथरूम में घुस गई. अक्तूबर में भी उमस का बुरा हाल था. बाथरूम का बुरा हाल था.