जय श्री राम.....आप सभी को राम जन्मभूमि महोत्सव की ढेरो शुभकामनाएं......हम सारे हॉल के एक कोने में आग के पास बैठे थे,सब हाथों में कंबल,तकिया या फिर खाने का पैकेट लेकर गर्मी को मेहसूस कर रहे थे,कुछ पल तक सब चुपचाप उस जलती हुई आग को देख रहे थे, शायद इसलिए कि उसकी मिलती गरमी शरीर को बेहद सुकून पहुचा रही थी शांति, खामोशी, सुकून जैसे पलों में सामने जल रही लकड़ियाँ की आवाज़ें भी गूंजती हुई अच्छी लग रही थी तभी शांति के इस सुहाने माहोल को जेनी ने अपनी आवाज से तोड़ा