राम का दिन बेचैनी घबराहट और दहशत में बीतता था क्योंकि उसने 16 वर्ष की आयु से 29 वर्ष की आयु तक सिर्फ पाप ही पाप के कर्म किए थे एक भी पुण्य कर्म नहीं किया था।आयु बढ़ाने के साथ-साथ जब उसे एहसास होता है कि उसकी यह सोच गलत थी कि इस दुनिया ने उसे अनाथ बेसहारा समझ कर उसका दिल खोल कर शोषण किया है और दुनिया में जितने भी दुख कष्ट होते हैं उसे दिए हैं, इसलिए वह अब तक दुनिया से बदला लेने के लिए जी रहा था और वह यह भूल गया था कि अगर