(भाग 23) अब तक आपने पढ़ा कि अंशुला को प्रेमलता दिखाई देती है, जिसे वह अपनी आँखों का वहम समझती है। अब आगें... आंखे मूंदे हुए डरी-सहमी सी अंशुला के कंधे पर जब किसी ने एक भारी सा हाथ रखा तो वह चीख़ पड़ी। अगलें ही पल उसे प्रेम का ख्याल आया। उसने चेन की सांस लेते हुए कहा - " ओह ! प्रेम तुम हो। मैं तो भूल ही गई थी कि यहाँ मैं अकेली नहीं हुँ।" इतना कहने के बाद जैसे ही अंशुला ने पलटकर देखा सामने का नज़ारा देख कर उसके चेहरे का रंग बदल गया। प्रेम