संकीर्तन महिमाभगवान् के नाम, रूप, लीला व गुणों का संकीर्तन किया जाता है। इन सभी प्रकार के संकीर्तनों में सबसे अधिक महिमा संतों व शास्त्रों ने हरि नाम संकीर्तन की गाई है। यहाँ तक कि जप से भी ज्यादा नाम संकीर्तन की महिमा गाई है। नाम का गायन ही कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना है। इसलिए संकीर्तन करो-संकीर्तन करो।श्रीमद्भागवत् जी ने मुक्त कण्ठ से संकीर्तन महिमा का गायन किया।क्लेर्दोषनिधेराजन्नस्ति ह्योको महान्गुणः ।कीर्तनादेव कृष्णस्य मुक्तसंगः परं ब्रजेत् ॥ परमहंस श्री शुकदेवजी राजा परिक्षित को कहते हैं– राजन् ! कलियुग दोषों का भण्डार है, तथापि इसमें यही एक महान् गुण है कि इस