प्रेम के रंग - 10 - बचपन के प्यार की अधूरी कहानी

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बचपन के प्यार की अधूरी कहानीएक दिन रूही का मिट्ठू बहुत बीमार हो जाता है। रूही मिट्ठू को दवा पिलाकर बैठी रोती रहती है। मिट्ठू अपनी आखिरी सांसें लेता रहता है। घर के सारे लोग रूही का मज़ाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि कोई बात नहीं एक मिट्ठू ही तो है, कौन सा इंसान है। लेकिन रूही के जज्बात कोई नहीं समझ रहा था। रूही को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मिट्ठू के साथ साथ उसकी भी सांसें निकल रही हों। वह अपने मिट्ठू को सहलाए जा रही थी और उसकी आंखों से आंसू जैसे रुक ही नहीं