एहिवात - भाग 11

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सौभाग्य पिता और चिन्मय कि वार्ता के बीच मे बोली माफ करना बापू महल अटारी के भोज में हम तू और माई कैसे जाब ना त इनके लोगन जैसे कपड़ा रही ना रुतबा जुझारू बेटी सौभाग्य से बोले बात त बेटी पते क कहत हऊ और चिन्मय कि तरफ मुखतिब होते बोला बाबू हमार हैसियत नाही कि तोहरे समाज मे जाई सकी हम लोग ठहरे बन जंगल मे रहे वाले लोग तोहन लोगन कि बराबरी कैसे करी सकित है ना हमरे पास ढंग के कपड़ा बा ना पैर में पहिने खातिर जूता चप्पल तोहरे भोज में हम पचन भंगी जईसन