महबूब जिन्न, भाग - ०४ लेखक - सोनू समाधिया 'रसिक'विशेष :- यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है।पिछले अध्याय से आगे.......तेज बारिश में दोनों एक दूसरे के हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए एक - दूसरे की आँखों में झाँक रहे थे। कुछ देर में दोनों एक खंडहर बन चुकी वीरान मस्जिद के पास पहुंच गए। शैवाल की वजह से मस्जिद का रंग काला और हरे रंग का सम्मिश्रण था। चारों तरफ़ वियावान जंगल और बरसाती पानी की आवाज के साथ कीड़ों और झींगुरों की आवाजें माहौल को अप्रिय और डरावना बना रहीं थीं। इन्ही की बीच जर्जर और वीरान हो