रामप्यारी का प्यार

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मंगसिर(मार्गशीर्ष/अगहन) का महीना अब दिनों की डोर पोह(पौष/पूस) को पकड़ाने वाला था। ठंड भी धीरे–धीरे अपने पैर पसार चुकी थी। सूर्य देवता भी अब बस कुछ ही क्षणों के लिए अपनी चादर से बाहर निकलते थे। ऐसे दिनों में भी पानीपत के रोडवेज स्टेशन पर भीड़ कम नहीं थी। किसी को अपने घर जाने की जल्दी थी तो किसी को घर से अपने काम पर जाने की, कोई अपने यार दोस्तों की प्रतीक्षा में था तो कोई अपने विद्यालय,कॉलेज जाने के लिए घर से आया था। कोई अपनी प्रेमिका की प्रतीक्षा में था तो कोई अपने प्रेमी की।इसी भीड़ में