कलवाची--प्रेतनी रहस्य - (अन्तिम भाग)

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सारन्ध जैसे ही राजमहल के द्वार पर पहुँचा तो उसकी दयनीय स्थिति को देखकर द्वारपाल शीघ्रता से गिरिराज के पास पहुँचा और उससे बोला.... "महाराज! राजमहल के मुख्य द्वार पर राजकुमार सारन्ध खड़े हैं", "सारन्ध...मेरा पुत्र सारन्ध आ गया,ये अत्यधिक प्रसन्नता की बात है,मैं स्वयं ही उसे लेकर आऊँगा" और ऐसा कहकर गिरिराज प्रसन्नतापूर्वक राजमहल के मुख्य द्वार पर भागा और अपने पुत्र सारन्ध को उसने हृदय से लगा लिया,उसकी दयनीय स्थिति को देखकर उससे बोला.... "उन पापियों ने कैसी दशा बना दी मेरे पुत्र की", तब सारन्ध बोला.... "हाँ! पिताश्री! उन्होंने मुझे अत्यधिक प्रताड़ित किया,मुझे भोजन नहीं दिया,मैं किस