भक्ति के आदर्श कल्याण स्वामीएक बार कोल्हापूर में समर्थ रामदास का कीर्तन चल रहा था। तब नाशिक के कृष्णाजीपंत कुलकर्णी की पत्नी रखुमाबाई अपने भाई पाराजीपंत और बच्चे अंबाजी व दत्तात्रेय के साथ कीर्तन सुनने आई थीं। पूरे परिवार ने वहाँ समर्थ रामदास से अनुग्रह किया और उनके साथ तीर्थयात्रा पर चल पड़े।तीर्थयात्रा करते हुए वे शिरगाँव पहुँचे। वहाँ एक मठ स्थापित करके, उसका उत्तराधिकारी दत्तात्रेय को बनाकर रामदास और शिष्य आगे चल पड़े। उनकी माता रखुमाबाई दत्तात्रेय के साथ वहीं रुक गईं लेकिन अंबाजी सबके साथ आगे चल दिए। समर्थ रामदास के साथ ही वे हर पल रहने लगे।एक