जब श्यामा रागिनी को अपनी कहानी सुना चुकी तो फिर श्यामा ने कहा.... "मेरी कहानी तो तुमने सुन ली,लेकिन अपनी कहानी भी तो सुनाओ कि आखिर तुम्हें डकैत बनने की जरूरत क्यों पड़ गई"? तब रागिनी बोली.... "मेरी कहानी सुनकर क्या करोगी श्यामा बहन! कुछ दर्द ऐसे होते हैं जो खुद तक सीमित रखने में ही भलाई होती है,अगर उन्हें बाँटने का सोचो तो दर्द बढ़ जाता है और फिर इतनी पीड़ा होती है कि सहन करना मुश्किल हो जाता है" "लेकिन रागिनी! मैं अब तुम्हारे लिए गैर तो नहीं,मुझसे अपना दुख बाँटने में भी क्या तुम्हारी पीड़ा नहीं जाएगी",