अन्धायुग और नारी - भाग(४३)

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और फिर उस दिन नवाब साहब से हमारी मुलाकात बस इतनी ही रही ,वे कुछ देर हमारे साथ रुके और कुछ बातें की,उन्होंने हमसे कहा.... "सुना है,आप आलिम हैं,शेर कह लेतीं हैं और अंग्रेजी भी जानतीं हैं", "अंग्रेजी तो हमने तोते की तरह रट ली थी और शेर कह लेते हैं वो भी ऐसे ही थोड़ा बहुत,ज्यादा तजुर्बा नहीं है हमें" हमने नवाब साहब से कहा.... "ओह...ये तो हमारी खुशकिस्मती है कि आप हमारी बेग़म हैं,इतनी ज़हीन और खूबसूरत बेग़म खुदा नसीब वालों को ही बख्शता है",नवाब साहब बोले.... "जी! बहुत बहुत शुक्रिया,वैसे आपकी तारीफ़ के काबिल नहीं हैं हम",हमने