अन्धायुग और नारी - भाग(३८)

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मैं मुलिया की बातें सुनकर दंग रह गया,वो जो कह गई थी मेरे परिवार के बारें में तो वो सुनकर मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था,कुछ सोच नहीं पा रहा था कि क्या कोई इतना हैवान हो सकता है,क्या कोई किसी मासूम लड़की की शख्सियत मिटाने के लिए इतना गिर सकता है,वो मेरा परिवार था,जहाँ मैं पला बढ़ा था,उस माँ ने ही मुझे पालपोस कर बड़ा किया था और वो ही अब मेरी सबसे बड़ी दुश्मन बन चुकी थी,वो इतनी क्रूर और निर्दयी हो सकती है ये मैं सोच भी नहीं सकता था,एक औरत भला दूसरी औरत के साथ