कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(७४)

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भैरवी सारन्ध से मीठी मीठी बातें करते हुए उसे उस स्थान पर ले गई,जहाँ सब उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे,जैसे ही सारन्ध उन सभी के समीप पहुँचा तो भैरवी सारन्ध से बोली.... "ठहरिए ना राजकुमार! मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूँ", "कहो ना सुन्दरी! मैं तुम्हारी मधु समान बातें सुनना चाहता हूँ"सारन्ध बोला... "तो इस वृक्ष के तले तनिक देर बैठकर विश्राम करते हैं ना! मैं थक चुकी हूँ चलते चलते" भैरवी बोली... "हाँ...हाँ...सुन्दरी क्यों नहीं", और ऐसा कहकर सारन्ध वहाँ बैठ गया,इसके पश्चात सभी वहाँ आ पहुँचे,सभी को देखकर सारन्ध ने वहाँ से भागने का प्रयास किया किन्तु वो