श्रीमद्भगवद्गीता मेरी समझ में - अध्याय 5

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अध्याय 5 कर्मसन्यासयोगचौथे अध्याय में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था कि वह किस प्रकार निष्काम कर्म करते हुए मोक्ष की तरफ बढ़ सकता है। श्रीकृष्ण ने कहा कि तुम कर्म करते हुए भी स्वयं को कर्ता मत समझो। अर्जुन इस स्थिति को और स्पष्ट करना चाहता था। अतः उसने श्रीकृष्ण से पुनः एक प्रश्न किया। उसने कहा कि हे श्रीकृष्ण आपने कर्म में लिप्त न रहने की बात की है और साथ ही इच्छा रहित होकर कर्म करने की सलाह भी दी है। कृपया इसे स्पष्ट करें। भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर देते हुए कहा कि हे पार्थ इन