भाग – ७ थोडी देर के बाद चाची स्थिती को सम्भालती है और बुधिया से कहती है, “ बेटा अब क्या किया जाये? हमे जो भी निर्णय लेना है अब बडी सोच समझकर लेना है. देख यहा पर उसका एक भरा पुरा परिवार है. हमारे एक गलत निर्णय से दो परिवार बिखर जायेंगे.” तब बुधिया कहती है, “ हा चाची, मै भी वही सोच रही हुं. अगर मै रामदिन पर हक जाताती हुं तो बेचारी ममता का हरा भरा परिवार बिखर जायेगा. मेरा तो क्या, मेरा तो कुछ भी नही हुआ है बस शादी के नाम पर हल्दी लगी थी.