ये कहानी है तरुन कि , गाँव का एक छौरा जो शहर मे रहता है, अपनी पढाई भी करता है और पार्ट टाइम काम भी करता है । उसी से पढाई कि फीस भी देता है और अपना गुजारा भी करता है , पिता किसान है ज्यादा कुछ कर नही सकते तो तरून को खूद ही आगे बढ़ने के लिए मेहनत करना पड़ता है। कई बार तरून को काम से घर पे आते - आते रात के ग्यारह- बारह भी बज जाते। एक बार तरून जब आ रहा था तो काफी देर हो गई, रात के एक बज गए ,आने