असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 12

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परिवार से पुनर्भेटकुछ ही दिनों में समर्थ रामदास जामगाँव पधारे। गाँव में प्रवेश करते ही बाल्यकाल की यादें ताजा हो उठीं, मानो कल-परसो की ही घटनाएँ हों। मारुति मंदिर, जहाँ वे अपनी माँ के साथ जाते थे... पेड़ों पर चढ़कर बाल लीलाएँ करते थे... जहाँ स्वयं प्रभु राम ने उन्हें नाम मंत्र दिया था, वह मंदिर आज भी वैसा ही था।सबसे पहले उस मंदिर में जाकर ‘मारुति राया’ के दर्शन करके वे घर की ओर चल पड़े। अभी सूर्योदय होने में समय था। लोग धीरे-धीरे नींद से जागने लगे थे। गाँव से गुज़रते हुए इस सुंदर, तेजस्वी संन्यासी को लोग